कुछ समय पहले तक आईएमएफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिले कर्ज को लेकर इतरा रहे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए घोषणा की है कि वह यह जांचने के लिए निगरानी बढ़ाएगा कि देश आतंकवाद के वित्तपोषण से कितनी प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं। FATF की ओर से कहा गया है, “आतंकी हमले जान लेते हैं, लोगों को घायल करते हैं और पूरी दुनिया में भय पैदा करते हैं। FATF 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करता है और उसकी निंदा करता है। यह और अन्य हालिया हमले आतंकवाद समर्थकों के बीच धन स्थानांतरित करने के साधनों के बिना संभव नहीं हो सकते थे।” हम आपको बता दें कि FATF का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संस्थान शायद ही कभी आतंकवादी कृत्यों की निंदा करता है। पिछले एक दशक में यह तीसरी बार है जब उन्होंने किसी आतंकवादी हमले की निंदा की है। इससे पहले एफएटीएफ ने 2015 में और फिर 2019 में आतंकवादी हमलों के गंभीर मामलों में निंदा की थी।
हम आपको बता दें कि भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन दिए जाने और हथियारों की खरीद के लिए धन मुहैया कराने की बात को उजागर किया है। एफएटीएफ का यह बयान उसकी पृष्ठभूमि में आया है। इस समय मांग बढ़ रही है कि पाकिस्तान द्वारा की गई पहलगाम आतंकी हमला संबंधी कार्रवाई के लिए देश को एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में डाल दिया जाना चाहिए। हाल ही में भारत ने अपने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों की राजधानियों में भेजे थे और उस दौरान विभिन्न देशों से आग्रह किया गया कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में डालने में मदद करें। वैसे भी यह जगजाहिर-सी बात है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को लगातार पनाह दी है और यह बात तब भी स्पष्ट हुई, जब सात मई को भारतीय सैन्य हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे। हम आपको बता दें कि FATF के एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) की 25 अगस्त को होने वाली बैठक और 20 अक्टूबर को समूह की अगली पूर्ण बैठक और कार्य समूह की बैठक से पहले, भारत धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण विरोधी एफएटीएफ मानदंडों के संबंध में पाकिस्तान द्वारा की गई चूक पर एक दस्तावेज (डोजियर) तैयार कर रहा है। पाकिस्तान को संदिग्ध सूची में डालने के लिए भारत एफएटीएफ को आवेदन देगा। हम आपको बता दें कि वर्तमान में, एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में 24 देश हैं। इन देशों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
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हम आपको बता दें कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल द्वारा की गई दुर्लभ निंदा से पता चलता है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हमले की गंभीरता को महसूस किया है’’ और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस तरह के हमलों को बख्शा नहीं जाएगा। हम आपको बता दें कि एफएटीएफ वैश्विक धन शोधन एवं आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखने वाला संगठन है और इन अवैध गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि वह जल्द अपने 200 अधिकार क्षेत्रों वाले वैश्विक नेटवर्क द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों को संकलित करते हुए ‘‘आतंकवादी वित्तपोषण का व्यापक विश्लेषण’’ जारी करेगा। बताया जा रहा है कि FATF सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को जोखिमों को समझने और उभरते खतरों के प्रति सतर्क रहने में मदद करने के लिए एक वेबिनार भी आयोजित करेगा। बताया जा रहा है कि आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों पर रिपोर्ट एक महीने के भीतर जारी की जाएगी। यह पहली बार है जब ‘‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’’ की अवधारणा को एफएटीएफ द्वारा वित्तपोषण स्रोत के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।
हम आपको बता दें कि केवल भारत का राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन (एनआरए) पाकिस्तान से राज्य प्रायोजित आतंकवाद को एक प्रमुख आतंकवाद वित्तपोषण जोखिम के रूप में मान्यता देता है। रिपोर्ट में एक अवधारणा के रूप में ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ को शामिल करना पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद की अंतरराष्ट्रीय मान्यता को दर्शाता है। हम आपको यह भी बता दें कि एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में पाकिस्तान का इतिहास फरवरी 2008 से शुरू होता है, जब इसे निगरानी सूची में रखा गया था। जून 2010 में उसे सूची से हटा दिया गया, लेकिन फरवरी 2012 में उसे वापस शामिल किया गया और फिर फरवरी 2015 में हटा दिया गया। जून 2018 में उसे तीसरी बार फिर सूची में शामिल किया गया और बाद में अक्टूबर 2022 में हटा दिया गया।
हम आपको बता दें कि एफएटीएफ धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था है और ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करती है। एफएटीएफ अध्यक्ष एलिसा डी आंदा माद्राजो ने हाल में जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस’ में कहा था, ‘‘कोई भी कंपनी, प्राधिकरण या देश अकेले इस चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकता। हमें वैश्विक आतंकवाद के संकट के खिलाफ एकजुट होना चाहिए क्योंकि आतंकवादियों को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल एक बार सफल होने की जरूरत होती है, जबकि हमें इसे रोकने के लिए हर बार सफल होना होगा।”