पिछले एक दशक में भारत ने वैश्विक मंच पर न केवल अपनी आर्थिक और कूटनीतिक ताकत का लोहा दुनिया को मनवाया है बल्कि संकट की घड़ी में अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई बार विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए हैं, जिन्हें दुनिया भर में सराहा गया है। मोदी सरकार की ओर से चलाये गये बचाव अभियानों ने यह सिद्ध कर दिया है कि चाहे युद्ध हो, प्राकृतिक आपदा, या महामारी, भारत अपने नागरिकों को हर हाल में सुरक्षित घर लाने के लिए कटिबद्ध है। इस समय मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंधु शुरू कर ईरान से अपने नागरिकों को निकालने का महा अभियान छेड़ा है और इसके तहत पहला विमान भारतीयों को लेकर आज दिल्ली पहुँच गया है।
मोदी सरकार की ओर से भारतीयों को बचाने के लिए पूर्व में चलाये गये अभियानों की बात करें तो वह इस प्रकार हैं-
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1. ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन, 2022)
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान हजारों भारतीय नागरिक, विशेषकर छात्र, यूक्रेन में फंस गए थे। स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण थी और हवाई यात्रा संभव नहीं थी। ऐसे में भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाकर 20000 से अधिक भारतीयों को पोलैंड, रोमानिया, हंगरी जैसे पड़ोसी देशों के रास्ते सुरक्षित निकाला था। भारत ने विशेष विमान भेजे थे और भारतीय दूतावासों ने ज़मीन पर चौबीसों घंटे काम किया था।
2. वंदे भारत मिशन (COVID-19 महामारी, 2020-21)
कोरोना महामारी के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हो गई थीं, तब लाखों भारतीय नागरिक विदेशों में फंसे थे। ऐसे में भारत सरकार ने ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू किया, जो अब तक का सबसे बड़ा निकासी अभियान बना। इसके माध्यम से 100 से अधिक देशों से 60 लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया था। यह मिशन न केवल नागरिकों के लिए राहत था, बल्कि भारत की वैश्विक योजना और प्रबंधन क्षमता का भी परिचायक बना था।
3. ऑपरेशन कावेरी (सूडान, 2023)
अफ्रीकी देश सूडान में गृहयुद्ध के हालात बनने पर भारत ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत 3000 से अधिक भारतीयों को निकाला था। भारत ने सऊदी अरब के सहयोग से पोर्ट सूडान और जेद्दाह के माध्यम से नागरिकों को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया था। रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वायुसेना ने मिलकर इस अभियान को सफल बनाया था।
4. ऑपरेशन सिंधु (ईरान, 2025)
ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष को देखते हुए मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत 110 छात्रों को सुरक्षित रूप से ईरान से निकालकर आर्मेनिया पहुंचाया और फिर उन्हें भारत लाया गया। युद्ध क्षेत्र से यह निकासी तेज़ी, संवेदनशीलता और संगठनात्मक समन्वय का उदाहरण रही।
5. ऑपरेशन राहत (यमन, 2015)
यमन में सऊदी अरब द्वारा सैन्य कार्रवाई शुरू करने के बाद हजारों भारतीय नागरिकों की जान खतरे में थी। भारत ने नौसेना, वायुसेना और वाणिज्यिक विमानों की मदद से 5,600 से अधिक भारतीयों को निकाला था। इस ऑपरेशन को संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों ने सराहा था और उस समय भारत ने 40 से अधिक अन्य देशों के नागरिकों की भी मदद की थी।
6. ऑपरेशन देवी शक्ति (अफगानिस्तान, 2021)
वर्ष 2021 में अफ़गानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद भारत ने 669 लोगों को निकालने के लिए मानवीय मिशन चलाया। इनमें 448 भारतीय और 206 अफ़गान नागरिक शामिल थे, जिनमें अफ़गान हिंदू और सिख समुदाय के सदस्य भी शामिल थे। भारतीय वायु सेना और एयर इंडिया की छह उड़ानों का उपयोग करके पंद्रह विदेशी नागरिकों को भी बचाया गया। इसके अतिरिक्त, सरकार ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पाँच पवित्र स्वरूपों की वापसी सुनिश्चित की, जिन्हें एक अलग उड़ान पर बड़ी श्रद्धा के साथ वापस लाया गया।
7. ऑपरेशन अजय (इजराइल, 2023)
वर्ष 2023 में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के दौरान, भारत ने एक बार फिर कार्रवाई की। ऑपरेशन अजय के अंतर्गत, छह विशेष उड़ानों से 1,343 लोगों को वापस लाया गया। इसमें 1,309 भारतीय नागरिक, 14 भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (ओसीआई) कार्ड धारक और 20 नेपाली नागरिक शामिल थे।
8. ऑपरेशन इंद्रावती (हैती, 2024)
मार्च 2024 में हैती में नागरिक अशांति फैल गई। भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत ऑपरेशन इंद्रावती शुरू किया। हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके सत्रह भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रूप से डोमिनिकन गणराज्य ले जाया गया, जो भारत की जन-केंद्रित विदेश नीति में एक और सफलता थी।
देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि दुनिया के किसी भी कोने में अगर कोई भारतीय संकट में है, तो भारत सरकार उसे अकेला नहीं छोड़ेगी। खास बात यह भी है कि इन अभियानों में न केवल प्रशासनिक चुस्ती और सैन्य कौशल देखने को मिला, बल्कि एक मानवीय दृष्टिकोण भी दिखाई दिया जिसने हर भारतीय का आत्मविश्वास बढ़ाया है। देखा जाये तो आज भारत विश्व पटल पर एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है और जरूरत पड़ने पर दूरस्थ देशों में भी अपनी ताकत दिखाने में सक्षम है।
इसी क्रम में ऑपरेशन सिंधु के तहत युद्धग्रस्त ईरान से निकाले गए छात्र आज तड़के नई दिल्ली पहुंचते ही राहत की सांस लेते दिखे, जब वे लगभग 52 घंटे की यात्रा के बाद अपने परिवारों से फिर से मिल पाए। हम आपको बता दें कि ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष को देखते हुए भारत सरकार ने ईरान के उर्मिया विश्वविद्यालय से 110 छात्रों को निकाला और उन्हें मंगलवार को आर्मेनिया के येरेवान ले जाया गया, जहां से उन्हें दिल्ली लाया गया। फ्लाइट में 94 छात्र जम्मू-कश्मीर से थे, जबकि बाकी दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से थे। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उत्तर भारतीय राज्यों से आए परिवार अपने बच्चों को लेने के लिए कतार में खड़े थे, जबकि दक्षिणी राज्यों और जम्मू-कश्मीर के अधिकारी उन्हें उनके घरों तक पहुंचाने के लिए मौजूद थे।
मीडिया से बातचीत में छात्रों के अभिभावकों ने कहा कि युद्ध क्षेत्र में फंसे अपने बच्चे की चिंता ने बहुत बेचैन कर दिया था लेकिन अब राहत मिली है। हम आपको बता दें कि जैसे ही छात्र हवाई अड्डे से बाहर आने लगे, उन्होंने एक सुर में भारत लौटने और अपने परिवारों से मिलने की खुशी जाहिर की। छात्रों ने कहा कि भले ही वह जिस इलाके में थीं वहाँ हवाई हमले नहीं हुए, लेकिन युद्ध क्षेत्र में रहने का ख्याल ही भयावह था। छात्रों ने कहा कि हमें नहीं पता था कि कब हमारे ठिकाने पर हमला होगा।
उधर, छात्रों को हवाई अड्डे पर रिसीव करने के लिए मौजूद रहे विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि और लोगों को निकाला जा रहा है। उन्होंने बताया, “हमारे पास और विमान तैयार हैं। आज एक और विमान भेजा जा रहा है। हम कुछ और लोगों को तुर्कमेनिस्तान से निकाल रहे हैं। हमारे मिशनों ने निकासी के किसी भी अनुरोध के लिए 24 घंटे की हॉटलाइन शुरू की है। जैसे-जैसे स्थिति बदल रही है, हम और विमान भेजेंगे।” उन्होंने तुर्कमेनिस्तान और आर्मेनिया की सरकारों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।