दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक, जिसकी परिवार की जड़ें हरियाणा से जुड़ी थी। जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया और वहीं पर पाकिस्तान में पैदा हुआ। इस आतंकी ने पहले इस्लामिक तालिम हासिल की और कुरान को मुंहजुबानी याद कर लिया और उसे हाफिज की उपाधि मिली। दरअसल, हाफिज जिसका अर्थ अरबी में संरक्षक होता है। यह उपाधि इस्लाम में एक सम्मानजनक पद है,और हाफिज को समुदाय में बहुत सम्मान दिया जाता है। शम्स-उद-दीन मुहम्मद हाफ़िज़ फ़ारसी लोगों के सबसे प्रिय कवियों में से एक हैं। हाफिज को हाफिज साहब, उस्ताद, या कभी-कभी शेख जैसी उपाधियाँ भी दी जाती हैं। फिर हाफिज पाकिस्तान से आगे की पढ़ाई के लिए सऊदी अरब गया जहां इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों के साथ जुड़ गया और इस्लामिक कट्टरपंथ उसके सिर पर ऐसा सवार हुआ कि उसने कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने की कसम खा ली। फिर उसने एक आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा बनाया। 2001 का संसद हमला हो या 2006 के मुंबई ट्रेन धमाके, 2008 का 26/11 हो या 2016 का पठानकोट हमला इन सब हमलों के पीछे इसी आतंकवादी का हाथ था। इसका नाम हाफिज सईद है।
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कौन है हाफिज सईद
हाफिज सईद का जन्म 5 जून 19509 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में हुआ। उसके पिता मौलाना कमाल-उद दीन अपने परिवार के साथ अंबाला और हिसार, पूर्वी पंजाब (अब हरियाणा में) से पलायन कर और 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान आए। हाफिज ने रियाद में किंग सऊद विश्वविद्यालय से इस्लामिक अध्ययन में स्नातकोत्तर करने से पहले गवर्नमेंट कॉलेज सरगोधा से अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। सऊदी अरब में रहते हुए हाफिज सईद पर वहां के सल्फी और वहाबी आंदोलन का गहरा प्रभाव था। हाफिज सईद के जीवन और विचारधारा पर मामा और बाद में ससुर हाफिज अब्दुल्ला बहावलपुरी का गहरा असर पड़ा। सलफी और वहाबी आंदोलन धार्मिक कट्टरपंथता को बढ़ावा दे रहे थे। बहावलपुरी का इकलौता बेटा अब्दुल रहमान मक्की, सईद का साला है। जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक ने सईद को इस्लामिक विचारधारा परिषद में नियुक्त किया, और बाद में उसने पाकिस्तान के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इस्लामी अध्ययन शिक्षक के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया। 1980 के दशक की शुरुआत में हाईर स्टडीज के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा सऊदी अरब भेजा गया था जहाँ उसकी मुलाकात सऊदी शेखों से हुई जो सोवियत-अफ़गान युद्ध में भाग ले रहे थे। उन्होंने उसे अफ़गानिस्तान में मुजाहिदीन का समर्थन करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
हाफिज सईद ने कैसे बनाया लश्कर ए तैयबा
साल 1985 में हाफिज सईद ने पहले हदीस विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए जमात उद दावा नाम के एक संगठन की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य इस्लाम के अहले हदीस विचारधारा का प्रचार करना था। अहले हदीस, जिसका अर्थ है “हदीस के लोग”, एक सुन्नी इस्लामी धार्मिक आंदोलन है जो 19वीं सदी के मध्य में उत्तरी भारत में उभरा। यह आंदोलन कुरान और हदीस (पैगंबर मुहम्मद के कथनों और कार्यों) को धार्मिक अधिकार का एकमात्र स्रोत मानता है, और शुरुआती इस्लामी इतिहास के बाद के विकास का विरोध करता है। 1987 में सईद ने अब्दुल्ला अज़्ज़ाम, प्रो. ज़फ़र इक़बाल सरदार के साथ मिलकर मरकज़ दावा-वल-इरशाद की स्थापना की, जो जमीयत अहल-ए-हदीस में निहित एक समूह था। आगे चलकर इसके एक सैन्य विंग की शुरुआत हुई और जिसका नाम लश्कर-ए-तैयबा रखा गया।