Bihar Flood News: फल्गु नदी में शनिवार की देर रात करीब एक बजे अचानक तेज बहाव के साथ पानी आ गया, इस दौरान गया जी शहर के पास स्थित मानपुर इलाके में सिक्स लेन पुल के नीचे झुग्गी-झोंपड़ी डालकर रह रहे दो दर्जन से अधिक गुलगुलिया बंजारा परिवारों में अफरा-तफरी मच गयी. पिछले एक सप्ताह से नदी के बीच डेरा जमाये ये परिवार तेज बहाव में फंस गये. घटना के दौरान चीख-पुकार सुनकर आसपास के स्थानीय लोग तत्काल मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू किया. इस बीच एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंच गयी. तेज बहाव में एक परिवार के तीन सदस्य पति, पत्नी और डेढ़ वर्षीय बच्चा बह गये.
लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही SDRF
एसडीआरएफ की तत्परता से महिला को जीवित निकाल लिया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बतायी गयी है, लेकिन उसका पति, 40 वर्षीय जितेंद्र राठौर और डेढ़ साल का बेटा नीरज अब तक लापता हैं. एसडीआरएफ की टीम तलाश में लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है. यह परिवार चाकंद थाना क्षेत्र के मीराबीघा में अस्थायी रूप से रहता है.

मच गयी चीख-पुकार
फल्गु नदी में शनिवार की देर रात करीब एक बजे अचानक तेज बहाव के साथ पानी आने के बाद सिक्स लेन पुल के नीचे झुग्गी-झोंपड़ी डालकर रह रहे दो दर्जन से अधिक गुलगुलिया बंजारा परिवारों में अफरा-तफरी मच गयी. पिछले एक सप्ताह से नदी के बीच डेरा जमाये ये परिवार तेज बहाव में फंस गये. घटना के दौरान चीख-पुकार सुनकर आसपास के स्थानीय लोग तत्काल मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू किया.
इस बीच एक डेढ़ साल का बच्चा व उसका पिता दोनों बह गये. घटना में बंजारा परिवारों के एक दर्जन से अधिक मवेशी भैंस, बकरी, मुर्गी, कुत्ते आदि भी तेज बहाव में बह गये. इनके साथ-साथ उनके खाने-पीने और दैनिक उपयोग की सारी चीजें भी नष्ट हो गयीं. बंजारा टोली के सदस्य सुरेश राठौर ने बताया कि करीब 20 परिवार पुल के नीचे टेंट डालकर रह रहे थे. रात के समय अचानक पानी का स्तर बढ़ा, जिससे सभी लोग फंस गये.

स्थानीय लोग बने मददगार
स्थानीय निवासी संतोष कुमार ने बताया कि रात में चीख-पुकार सुनकर अपने कुछ साथियों के साथ मौके पर पहुंचे और रस्सी के सहारे राहत कार्य शुरू किया. रस्सी से बांधकर कई महिलाओं, बच्चों और मवेशियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. एक बंजारा युवक ने अपने दो वर्षीय बच्चे को गमछे से कमर में बांधकर रस्सी के सहारे पुल से खिंचवा कर दोनों की जान बचायी. इस दौरान करीब 18 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन कुछ लोग और मवेशी नहीं बच सके.
प्रशासन ने समय रहते सतर्कता क्यों नहीं बरती?
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि लगातार हो रही बारिश और बाढ़ की स्थिति के बावजूद जिला प्रशासन ने नदी किनारे या नदी के बीच झुग्गियों में रह रहे लोगों को हटाने की कोई पहल क्यों नहीं की. यदि समय रहते चेतावनी दी जाती या निगरानी होती तो यह हादसा टल सकता था.
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क्या बोले थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी
अपर थानाध्यक्ष शशि भूषण प्रसाद ने बताया कि स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस व एसडीआरएफ मौके पर पहुंची और 18 लोगों को रेस्क्यू किया गया. हालांकि, जितेंद्र राठौर और उसका पुत्र लापता हैं. उनकी तलाश जारी है और नीता देवी की लिखित शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
अंचलाधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि बंजारा परिवारों के पास कोई वैध दस्तावेज जैसे आधार कार्ड या वोटर आइडी नहीं है, जिससे उनकी पहचान पक्की हो सके. फिलहाल, जिला प्रशासन के निर्देशानुसार उन्हें राहत सामग्री जैसे अनाज व प्लास्टिक शीट दी जा रही है. मवेशियों के नुकसान पर भी उचित मुआवजे की व्यवस्था की जायेगी.
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मूलभूत सुविधाओं और सरकारी योजनाओं से वंचित
घुमंतू बंजारा समुदाय आज भी मूलभूत सुविधाओं और सरकारी योजनाओं से वंचित है. न उनका स्थायी निवास है, न कोई पहचान दस्तावेज. यही कारण है कि वे सरकारी योजनाओं और मतदान की प्रक्रिया से भी बाहर हैं. बंजारा परिवार समूह में रहते हैं और पूरे सामान के साथ एक जगह से दूसरी जगह डेरा डालते हैं. पढ़ाई-लिखाई की कोई व्यवस्था नहीं होती और महिलाएं भीख मांगकर, गाकर अथवा वस्तुएं बेचकर जीवन यापन करती हैं.
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