Bihar: शेखपुरा (कामता) का रहने वाला एक 2 साल का बच्चा अनडिसेन्डेड अंडकोष (क्रिप्टोर्चिडिज्म) की समस्या से परेशान था. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दोनों अंडकोष पेट के अंदर होते हैं. बच्चे के जन्म के बाद से ही माता-पिता अंडकोष के सही स्थान पर नहीं होने से परेशान थे. कई डॉक्टरों से दिखाने के बाद भी जब बच्चे को आराम नहीं मिला तो परिजन बच्चे को लेकर पटना स्थित सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल आए. जहां हॉस्पिटल के डायरेक्टर और वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुमार राजेश रंजन ने बच्चे की जांच की. जिसमें पता चला कि बच्चे का दाहिना अंडकोष आंत के अंदर फंसा हुआ था. जिसे फर्स्ट स्टेज में दूरबीन की मदद से डिसेक्ट कर नॉर्मल पोजिशन में लाया गया. इसके बाद 6 महीने बाद दूसरी सर्जरी की गई, जिसमें बिना चीरा के दूसरे अंडकोष को भी सही स्थान (स्क्रोटम) पर लाया गया. सर्जरी के बाद बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है.

इन बिमारियों की वजह बन सकता है अनडिसेन्डेड अंडकोष
ऑपरेशन के बारे में बताते हुए डॉ. कुमार राजेश रंजन ने बताया कि अनडिसेन्डेड अंडकोष का इलाज अगर सही समय से नहीं करवाया गया तो यह बांझपन, वृषण कैंसर और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया अन्डिसेंडेड अंडकोष का कारण आनुवंशिक और हार्मोनल हो सकता है.
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किस स्थिती में होती है ऐसी समस्या?
यह स्थिति तब होती है जब मां के गर्भ में भ्रूण के विकास के दौरान एक या दोनों अंडकोष स्क्रोटम में उतरने में विफल हो जाते हैं. आम तौर पर वह पेट के भीतर विकसित होते हैं. कई बार यह जन्म से पहले या उसके तुरंत बाद धीरे-धीरे अंडकोश में उतर जाते हैं. लेकिन, जब अंडकोष पेट के अंदर ही रह जाते तो इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए.
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