ईरान के पूर्व राजा के बेटे का बड़ा बयान सामने आया है। अब ईरान को वापस लेने का समय है। रेजा पहेलवी ने कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक खत्म हो चुका है। अब उठ खड़े होने का समय आ गया है। एक तरह से विद्रोह की बात रेजा पहलवी कह रहे हैं। ईरान में उनके वंशजों का शासन हुआ करता था। लेकिन ईरान में इस्लामिक क्रांति के जरिए खुमैनी ने शासन अपने हाथ में ले लिया था। इस्लामिक सत्ता ईरान में काबिज हो गई थ। लेकिन अब पूर्व राजा के बेटे रेजा पहलवी फिर से विद्रोह को हवा दे रहे हैं। रेजा पहलवी ने बयान जारी करते हुए कहा कि अब ईरान को वापस लेने का समय आ गया है। इस्लामिक रिपब्लिक खत्म हो चुका है। ये लड़ाई खामनेई की है, ईरान की नहीं। अब उठ खड़े होने का समय आ गया है।
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अमेरिका की तरफ से कल एक बड़ा बयान सामने आया। जी 7 की बैठक छोड़कर वापस अमेरिका लौटने के बाद ट्रंप ने साफ किया कि उन्हें मालूम है कि खामनेई कहां पर हैं। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘हमें पता है कि ईरान के ‘सुप्रीम लीडर’ (खामेनेई) कहां छिपे हैं? वे आसान टारगेट हैं, लेकिन अभी वहां सुरक्षित हैं, क्योंकि अभी हम उन्हें मारने नहीं जा रहे। अमेरिका नहीं चाहता कि उसके नागरिकों या सैनिकों अयातुल्ला खामेनेई पर मिसाइलें दागी जाएं। अमेरिका की सहनशीलता अब खत्म हो रही है।’ ट्रम्प का यह बयान ईरान को चेतावनी माना जा रहा है कि हालात नहीं सुधरे तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
इजरायल की तरफ से पहले की कहा गया कि खामनेई का हश्र सद्दाम हुसैन जैसा होगा। इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने चेतावनी दी कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का हश्र इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है। कैट्ज ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, याद रखें कि पड़ोसी देश ईरान के तानाशाह का क्या हुआ था, जिसने इजरायल के खिलाफ यह रास्ता अपनाया था। सद्दाम हुसैन इराक का तानाशाह शासक था और उसे अमेरिका ने पकड़कर फांसी पर लटकाया था।
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कैसे ईरान में अमेरिका की मदद से आया पहलवी शासन
1953 में अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ मिलकर एक साज़िश के तहत एक लोकतांत्रिक देश को राजशाही में तब्दील कर मोहम्मद रज़ा पहेलवी को ईरान का नया शाह बना दिया। रजा पहेलवी को ये पता था कि उसे अपनी सत्ता पर नियंत्रण मजबूत करना है तो ईरान के अंदर की जनता का समर्थन हासिल करना होगा। 1963 में एक नई नीति व्हाईट रिव्ल्यूशन ईरान में शुरू की गई। इस्लामिक लीडर आयतुल्लाह रुहुल्लाह खुमैनी ने विरोध का झंडा उठाया। उसका मकसद का उद्देश्य ईरान को राजशाही से आजादी दिलाने के साथ ही इस्लामिक देश बनाना था औऱ इसमें वो पूरी तरह से कामयाब हुए।